मो०ताहिर अहमद वारसी की कलम से
सारे शाम राजधानी की हत्या का चश्मदीद कोई नहीं।
लखनऊ:- वैसे तो राजधानी लखनऊ में पिछले दो माह में अपराधियों का बोलबाला रहा। अनगिनत सख्त आदेशों के बाद भी अपराधी राजधानी में बेखौफ घटनाओं को अंजाम देते रहे ।परंतु थाना मड़ियाव इस्पेक्टर के कुशल नेतृत्व के कारण बीते दिनों मड़ियाव थाना अंतर्गत नौबस्ता पुलिया के पास हुए हत्याकांड में एक आरोपी को कुछ ही घंटों में दबोच कर सराहनीय कार्य किया गया। मड़ियाव इस्पेक्टर विपिन कुमार सिंह द्वारा गठित टीम की कड़ी मेहनत के बाद घटना के पांचवें दिन आरोपियों में से तीन को दुबग्गा से बाहर भागने की फिराक में रहे अभियुक्तों को धर दबोचा गया। अब तक मड़ियाव हत्याकांड में चार आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है ।अन्य की तलाश अभी जारी है ।पिछले माह अक्टूबर की 27 तारीख को नौबस्ता पुलिया निवासी चांद बाबू उर्फ छंगा की शाम को ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी ।परंतु असमंजस का विषय यह है कि नौबस्ता पुलिया जो मड़ियाव क्षेत्र की मार्केट व शाम की सब्जी मंडी होने के बाद भी मौके पर कोई चश्मदीद नहीं मिला ।सूत्रों की मानें तो आरोपी फुरकान के चांद बाबू से कुछ दिन पूर्व अच्छे संबंध थे ।जिस में आपसी लेन-देन भी चलता था परंतु कुछ दिन पूर्व फुरकान के किसी रिश्तेदार से चांद बाबू का कुछ विवाद हुआ। इसके कारण आपस में बातचीत बंद हो गई थी ।चांद बाबू अपने दिए पैसे फोन पर मांगता रहा परंतु फुरकान आनाकानी करता रहा। फिर दीपावली के दिन आरोपियों द्वारा योजना बनाकर चांद बाबू को फोन कर उकसाया गया ताकि चांद बाबू अपने घर से बाहर निकल कर आए और आरोपी घटना को अंजाम दे सकें। आखिरकार फोन पर गाली गलौज के बाद चांद बाबू घर से बाहर आया और आरोपियों ने घटना को अंजाम दे मौके से फरार हो गए ।आनन-फानन में मड़ियाव पुलिस द्वारा चांद बाबू की मां शमशुन निशा की तहरीर पर 147 ,148, 149 ,302 ,504 धाराओं में मुकदमा दर्ज कर तुरंत मड़ियाव इस्पेक्टर विपिन कुमार सिंह द्वारा टीम गठित कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी। कुछ ही घंटों में फुरकान को गिरफ्तार कर लिया गया ।मड़ियाव पुलिस को दूसरी कामयाबी तब मिली जब तीन आरोपियों को दुबग्गा बस स्टैंड के पास से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। क्षेत्र में हत्या को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं ।कोई इसे आपसी रंजिश कह रहा है। तो कोई आपसी लेनदेन परंतु स्थानीय रहने वाले कुछ लोगों ने नाम ना दर्शाने के वादे पर बताया कि यह क्षेत्रीय वर्चस्व की जंग है ।क्योंकि फुरकान मड़ियाव के पूर्व इस्पेक्टर का मुखबिर भी था। जिस कारण संरक्षण मिलने के बाद वह क्षेत्र में सट्टे जैसे कई कारोबार गुपचुप तरीके से चलाता था ।उसी के लेनदेन के कारण यह हत्या की गई अगर सट्टा या और कोई राज खुलता तो शायद कई सफेदपोश लोगों के कलर भी गंदे होते ।लोगों की बातों को सुनकर और सरेशाम हत्या में कोई चश्मदीद ना मिलना, जबकि नौबस्ता भीड़ भाड़ का इलाका है ।शंकित करता है।. शेष आगे