राष्ट्रीय युवा वाहिनी अध्यक्ष के घर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त दबंगों का धावा।
विधी की छात्रा के साथ अभद्रता और लूट के 4 दिन बाद नहीं हुई गिरफ्तारी।
मो०ताहिर अहमद वारसी
लखनऊ:-कुछ माह पूर्व उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने के प्रयास में कमिश्नरी के माध्यम से सराहनीय पहल कर उत्तर प्रदेश के भाजपा शासन को कलंकित करने वाले अपराधियों पर नकेल कसने का प्रयास जो किया गया वह सराहनीय है। परंतु शासन में बैठे जिम्मेदार यह भूल गए कि '"गधे की पीठ पर जीन लादने से गधा घोड़ा नहीं बन सकता"। इसी प्रकार सिस्टम का नाम बदल देने से मातहतों की कार्यशैली नहीं बदलती ऐसा ही हुआ। जब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को कमिश्नरी में शामिल कर कानून व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास तो किया गया परंतु भार उन्हीं भ्रष्ट एवं लापरवाह कर्मचारियों पर दिया गया जो पहले ही कानून व्यवस्था को दागदार कर चुके थे। कमिश्नरी लागू होने के बाद तो जैसे राजधानी पुलिस को आदेश दिया गया हो कि तुम्हें अपराधिक रिकॉर्ड गिराना है ।चाहे मुकदमा लिखो या ना लिखो इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।कमिश्नरी लागू होने के बाद कई मामले सामने आए जिसमें पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद भी जिम्मेदारों द्वारा उनका संरक्षण कर कोई कार्यवाही ना करना एक आम बात हो गई है। जब राजधानी में जिम्मेदार नागरिकों की सुनवाई नहीं हो सकती तो आम जनता की सुध कौन लेगा। नया मामला मड़ियाओं थाना अंतर्गत राष्ट्रीय युवा वाहिनी अध्यक्ष पंडित जितेंद्र शर्मा होली के दिन अपने मित्रों के यहां होली खेलने गए थे ।और उनके हरि ओम नगर स्थित आवास पर उनकी पत्नी मेघा शर्मा जो की विधि की छात्रा अकेले घर पर थी। तभी क्षेत्र के रहने वाले यश अस्थाना ,संदीप ठाकुर, सूरज ठाकुर आदि जो क्षेत्र में दबंगई के लिए चर्चित हैं। और आए दिन वाद-विवाद करते रहते हैं ।कुछ दिन पूर्व की घटना पर आकर मेघा को अकेला पाकर घर में घुस अश्लीलता व अभद्र व्यवहार करने लगे। जैसे तैसे मेघा शर्मा द्वारा अपने पति जितेंद्र शर्मा को फोन कर घटना की जानकारी दी तो मौके पर पहुंचे पंडित जितेन शर्मा और उनके मित्र पत्रकार शुभम गुप्ता पर दबंगों ने हमला कर लहूलुहान कर दिया। जिससे शुभम गुप्ता के सर में गंभीर चोटे आई और घर पर रखा होली पर्व का खर्च का पैसा व जेवर उठाकर ले गए। जिसकी सूचना मेघा शर्मा ने 10 /3/ 2020को मड़ियाहूं थाने पर तहरीर देकर घटना की जानकारी दें कानूनी कार्रवाई के लिए न्याय की गुहार लगाई। परंतु 4 दिन बीत जाने के बाद भी दबंगों पर कोई कार्यवाही मड़ियाओं पुलिस द्वारा नहीं की गई। दबंग क्षेत्र में खुलेआम घूम कर अपने वर्चस्व का डंका बजा रहे हैं ।सूत्रों की मानें तो दबंगों पर मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के सफेदपोश नेताओं का हाथ है। उनका फोन आने के कारण दबंगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई ।ऐसे संगीन मामलों में पुलिस की उदासीनता से पुलिस कमिश्नरी को दागदार होने से कोई नहीं बचा सकता। परंतु कमिश्नरी में सख्त कानून का वादा करने वाली लखनऊ पुलिस का रूप दुर्भाग्यपूर्ण है ।उपरोक्त प्रकरण के बाद क्षेत्र में भय का माहौल है ।पीड़ित परिवार में भय का माहौल है ।पूरा परिवार भय के कारण घर में बंद है। और लचर कमिश्नरी व्यवस्था की ओर आशा भरी आंखों से देख रहा है। जब कमिश्नरी में एक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष को न्याय नहीं मिल सका तो आम जनता का क्या हाल होगा।