सच लिखना अगर बगावत है तो मैं बागी हूं।

कोरोना वायरस का कहर , और समाज में फैला जहर ।


मो०ताहिर अहमद वारसी


चीन में उपजा कोरोना वायरस धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेता गया । कुछ देशों की सक्रीयता से चीन के पड़ोसी देशों में ही इस का प्रभाव कम देखने को मिला।परंतु कुछ देशों की लापरवाही से उन को भारी जान माल का नुक़सान उठाना पड़ा।इटली जैसे देशों को कोरोना ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया। दुनिया के कोने कोने में जब इसके मरीज पाए जाने लगे तब भारत जैसे देश की सरकार जागी और अनन फनन में देश के भावी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता का मूड जानने के लिए 22 मार्च को एक दिवसीय जनता कर्फ्यू का आवाहन किया। मीडिया द्वारा कोरोना वायरस को कहर की तरह दिखा कर जो डर जनता के दिल में पैदा किया गया उसी के नतीजे भयभीत जनता ने जनता कर्फ्यू का भरपूर समर्थन किया।मगर अब तक कोरोना वायरस को भारत सरकार महामारी घोषित कर चुकी थी । न्यूज़ पेपर,चैनल,शोशल मीडिया जो कल तक कोरोना वायरस से बेखबर थी सब जाग कर सिर्फ एक ही काम में लग कर कोरोना का हव्वा बनाने में कामयाब रहे । फिर हुआ 21 दिन के लाॅक डाउन का ऐलान अभी तक सोई हूई सरकार जागी और अनन फनन में बिना व्यवस्था के लाॅक डाउन की घोषणा कर दी ।कोरोना के हव्वा के डर से भयभीत जनता तो अपने घरों में दुबक गई। फिर शुरू हुआ सरकार समर्थक और आलोचकों के बीच शोशल मीडिया पर युद्ध।ऐसे ऐसे शब्दों का प्रयोग जो शायद शब्द डिक्शनरी में भी ढूंढे से न मिले।एक तरफ भारत में कोरोना अपने पैर पसार रहा था ।तो दूसरी ओर राजनीतिक समर्थक एक दूसरे की खिंचाई मे लगे थे। फिर शुरू हुआ शहरीय क्षेत्रो से पलायन का सफर ।शहरों में लाखों की संख्या में मौजूद दिहाड़ी मजदूर,रिक्शा चालक,ठेले वाले , खोमचे वाले,भीख मांगने वाले, नौकरी करने वाले लाॅक डाउन में खाने पीने की व्यवस्था से टूट कर अपने पैतृक गांव ,शहरों की ओर पलायन करने लगे ।कई कई दिन के भूखे लोग सड़कों पर सरपट दौड़ कर अपने घर की ओर चले जा रहे थे।ऐसी स्थिति के लिए न तो देश न प्रदेश की सरकारें तैयार थी कई वीडियो जब शोशल मीडिया पर इन पलायनकरताओ की पुलिस की लाठी खाते रिलीज हुई।तब पुलिस द्वारा इन्हें रोक कर कुछ न कुछ खाने की व्यवस्था करनी शुरू की तब जागी उत्तर प्रदेश की सरकार और कुछ बसों को इन पलायनकरताओ के लिए पुनः चालू किया गया।यकायक लम्बे लाॅक डाउन में तमाम कम आय वाले लोगों के जब चूले बुझ गए।और उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाएं ऊंट के मुंह में जीरा के समान हो गई।तब देश के समाजसेवियों ने खाना खिलाने की मुहीम पर जोर दिया देखते देखते शोशल मीडिया पर अपने नेताओं का दान बलिदान की फोटो और चर्चाए बढ़ने लगी। फिर बारी आई समाज में फैले जहर उगलने वाले लोगों की अपने अपने धार्मिक लोगों की दान की सूचियां शोशल मीडिया पर रेलगाड़ी की भांति दौड़ने लगी।इन सब के बीच सोने पे सुहागा तब हुआ जब दिल्ली के एक धार्मिक केन्द्र से लगभग 1000लोग बरामद हुए ।तो जैसे मीडिया और शोशन मीडिया में भूचाल आ गया ।ये भूचाल तब नहीं आया जब देश के कई हिस्सों में कोरोना के मरीज पाए गए और सरकारें सो रही थी। करोड़ों लोग भूखे प्यासे पलायन कर रहे थे और सरकारें बेखबर थी करोड़ों लोगों की बजाए रजिस्ट्रर्ड मात्र कुछ मजदूरों की सहायता की घोषणा की गई।ये भूचाल तब नहीं आया जब यका यक 21दिन लम्बे लाॅक डाउन की घोषणा कर देश बंद कर दिया गया। हजारों जगह लोग फंसे थे मगर धर्म विशेष के धर्मस्थल के मामले को मीडिया और शोशन मीडिया द्वारा इस तरह बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया कि शोशल मीडिया पर तैनात राजनीतिक पार्टियों के सैनिक आपस में अभद्र भाषा के साथ जंग करने लगे।ये भी नहीं सोचा गया कि इस विपदा की घड़ी में तो देश वासियों को एक दूसरे के साथ रहने दो। परंतु सैनिक कहां मानने वाले इसी बहाने 2022चुनाव की तैयारी का बिगुल बजने लगा।देश की गंदी राजनीति ने आज देश को ऐसे चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां लोगों को अपने व अपने परिवार की कम चिंता है दूसरे धर्म में क्या हो रहा है इस की चिंता ज्यादा है।वैसे वास्तविकता यही है धर्म कोई भी हो वो मानव को मानवता वादी बनाता है परंतु जब जाहिल धर्म के ज्ञानी बन ज्ञान बांटने लगे गे तो नफरत के सिवा कुछ हाथ नहीं आने वाला।जाहिलो का कुछ हो या न हो परंतु इन ज़हालत ने देश की एकता, अखंडता, संस्कृति, भाईचारा सब समाप्त कर दिया है।अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत को विदेशी देशों से ज्यादा नुकसान देश में मौजूद ऐसे धर्म के ज्ञानियों से होगा जो हमेशा धर्म, जाति के नाम पर देश को बांटने का प्रयास करते हैं।


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