साहिबे आलम की रिपोर्ट
सोशल मीडिया बना समाज मे ज़हर घोलने की मशीन।
जब से (डिजिटल इंडिया) अभियान के अंतर्गत टेलीकॉम कम्पनियों के द्वारा (इंटरनेट) सुविधा सस्ती किए जाने के बाद जहाँ एक ओर देश में सोशल मीडिया के माध्यम से परिचय बढ़ाने में आसानी हुई है। तो और (ऑनलाइन) व्यापार को भी बढ़ावा मिला है। तो इसके विपरीत सोशल मीडिया के द्रुपयोग भी देखने को मिले हैं। भारत देश की गन्दी राजनीती ने सोशल मीडिया का द्रुपयोग करते हज़ारो बे रोज़गार युवाओं को ( I.T SEEL) में रोज़गार का लालच दे कर समाज मे कृम आपत्ति जनक पोष्ट व धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली पोष्ट के माध्यम से समाज मे जो ज़हर घोला है। वो कई दशकों तक मिटाने से भी नही मिटेगा। जबकि भारतीय संस्कृति कुछ और ही हैं। भारत दुनियां का एक मात्र ऐसा देश है जहाँ पर अनेक धर्म अनेक सम्प्रदाय के लोग आपसी भाई चारे के साथ सैकड़ो वर्षो से रहते चले आ रहे हैं। भारत वर्ष पर लग भग (400) साल मुगलो की हुकूमत होने के बाद भी ये आपसी भाई चारा कभी खण्डित नही हुआ। उसके वी उपरांत भारत की सरज़मीं पर लग भग (200) साल अंग्रेज़ो का कुरुर साशन काल भी भारत की एकता और अखंडता को नही समाप्त कर सका। परन्तु भारत की गन्दी राजनीती ने कुछ सालो में ही देश और समाज में सोशल मीडिया के माध्यम से वो ज़हर घोला है। जो देश और समाज दोनो के लिए विदेशी दुश्मन से भी घातक है। पढ़े लिखे लोगो द्वारा भी सोशल मीडिया पर धार्मिक कट्टरता के कारण ऐसी ऐसी पोष्ट करते दिखाई देते हैं। जिससे किसी भी धर्म किसी भी सम्प्रदाय की भावनाएं आहत हो जाएं। पढ़े लिखों का जब ये हाल है तो सस्ते (4G) के दौर में जाहिलों का हाल क्या होगा। ऐसे में भारत की एकता और अखंडता ईश्वर भरोसे व चन्द समाज सेवियों के कंधों पर ढोई जा रही है। इस पर मेरा ये मानना है के यदि सोशल मीडिया पर कोई धार्मिक तंज नही होना चाहिए। सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ़ एक दूसरे से दोस्ती बढ़ाने व भाई चारे के सुबूत देने के लिए ही होना चाहिए। यदि हम किसी राजनेता के चक्कर में पड़ कर धर्म के ख़िलाफ़ या कोई आपत्तिजनक पोष्ट करते हैं तो हम सोशल मीडिया का द्रुपयोग कर रहे हैं। इससे देश मे कभी भाई चारा नही बढ़ पाएगा सिर्फ़ देश को जलाने व एक दूसरे के धर्म पर कीचड़ उछालने के सिवा।
देश मे एकता मित्रता भाई चारा बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया पर कोई आपत्तिजनक पोष्ट न करें। और सोशल मीडिया का द्रुपयोग न करें।